खुफिया सूत्र: 21 आतंकियों के साथ जैश-ए-मोहम्मद ने दिसंबर में ही कश्मीर में कर ली थी घुसपैठ…
14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले में हुए आत्मघाती हमले के लिए जैश-ए-मोहम्मद Jaish-e-Mohammed के आतंकी पिछले साल दिसंबर महीने में ही कश्मीर में घुसपैठ कर चुके थे। उनकी योजना भारत में 3 आत्मघाती हमलों की थी। Intelligence Sources: Jaish-e-Mohammed with 21 terrorists had entered into Kashmir in December only infiltration

हाइलाइट्स
- 21 आतंकियों ने पिछले साल दिसंबर महीने में ही कश्मीर में घुसपैठ कर ली थी
- खुफिया सूत्रों के मुताबिक जैश के इस दल में 3 आत्मघाती हमलावर भी शामिल थे।
- आतंकियों ने खरीदी थीं 16 गाड़ियां
पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद Jaish-e-Mohammed के 21 आतंकियों ने पिछले साल दिसंबर महीने में ही कश्मीर में घुसपैठ कर ली थी। उनकी योजना घाटी और घाटी के बाहर आतंक फैलाने की थी। खुफिया सूत्रों के मुताबिक जैश के इस दल में 3 आत्मघाती हमलावर भी शामिल थे। उनके मंसूबे भारत में तीन आत्मघाती हमलों के थे, इनमें से दो की योजना घाटी के बाहर की थी।
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आतंकियों के इस जत्थे का सरगना जैश-ए-मोहम्मद Jaish-e-Mohammed के मुखिया मसूद अजहर के भतीजे मोहम्मद उमैर ने गाजी रशीद उर्फ कामरान के साथ किया था। बताया जा रहा है कि गाजी रशीद ही पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमले का मास्टरमाइंड था जो सोमवार को एनकाउंटर में मारा गया। खुफिया सूत्रों ने बताया कि इन आतंकियों को अजहर मसूद के दूसरे भतीजे उस्मान हैदर और संसद हमलों के दोषी अफजल गुरु का बदला लेने के लिए भेजा गया था।
कड़ी ट्रेनिंग और भारी हथियारों
कड़ी ट्रेनिंग और भारी हथियारों से लैस यह दल कश्मीर आते ही दो समूहों में बंट गया था। इनमें से एक का सरगना मुद्दसिर खान और दूसरे दल का शहीद बाबा था। 1 फरवरी को पुलवामा के द्रुवगाम में हुए एक एनकाउंटर में बाबा मारा गया था।
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जबकि तीन फिदायीन हमलावरों में से स्थानीय कश्मीरी आदिल अहमद डार को 14 फरवरी को बम ब्लास्ट करने के लिए लगाया गया था। बाकी दोनों फिदायीन हमलावरों को जम्मू और दूसरी जगहों पर हमले के लिए तैयार किया गया था।
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जैश-ए-मोहम्मद Jaish-e-Mohammed और लश्कर-ए-तैयबा के तथाकथित तरीके के तहत आत्मघाती मिशन के लिए पर्चियों में ग्रुप के सदस्यों के उर्दू में नाम लिखकर उन्हें चुना जाता था। जम्मू-कश्मीर पुलिस के उच्च स्तरीय जासूसों ने बताया कि जैश के रिक्रूटर और स्थानीय आतंकियों के बीच शुरुआती मीटिंग त्राल में होती थी।
आतंकियों ने खरीदी थीं 16 गाड़ियां
सूत्रों के अनुसार, जैश के दल के दोनों समूहों ने 16 गाड़ियां खरीदी थीं जिनके रजिस्ट्रेशन नंबर 1990 और 1995 के बीच के थे। साजिशकर्ता पुराने वाहनों पर ही जोर दे रहे थे ताकि आसानी से उन्हें पहचाना न जा सके। बता दें कि 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले में हुए आत्मघाती हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे। हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन ने ली थी।
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